5 Simple Statements About sidh kunjika Explained
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।
न सूक्तं नापि ध्यानम् च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २ ॥
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥ ४ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति ॥ १४ ॥
सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें.
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
Swamiji states, “A powerful need is something which can make us stand up also to the fullest capacity assert get more info ourselves to the furtherance of your intention. The key is to deal with the mantras.”
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
ग्रहों के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं. धन लाभ, विद्या अर्जन, शत्रु पर विजय, नौकरी में पदोन्नति, अच्छी सेहत, कर्ज से मुक्ति, यश-बल में बढ़ोत्तरी की इच्छा पूर्ण होती है.